Edited By Neetu Bala, Updated: 04 Jan, 2025 01:28 PM
मुख्य सचिव अटल डुल्लू ने जम्मू-कश्मीर में पी.एम. सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना के तहत सौर छतों की स्थापना में हुई प्रगति का प्रत्यक्ष मूल्यांकन करते हुए प्रदेश में लगभग 30,000 सौर छतों की स्थापना का लक्ष्य तय किया है।
जम्मू : मुख्य सचिव अटल डुल्लू ने जम्मू-कश्मीर में पी.एम. सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना के तहत सौर छतों की स्थापना में हुई प्रगति का प्रत्यक्ष मूल्यांकन करते हुए प्रदेश में लगभग 30,000 सौर छतों की स्थापना का लक्ष्य तय किया।
बैठक में उन्होंने प्रत्येक पंचायत तक पूर्ण विकसित कार्यक्रमों के साथ पहुंचने के निर्देश दिए। पी.डी.डी. के प्रमुख सचिव एच. राजेश प्रसाद ने बैठक में बताया कि उपभोक्ताओं के लिए स्थापना को आसान बनाने के लिए वित्तीय संस्थान/बैंक 7 प्रतिशत की दर से ऋण दे रहे हैं। इसके अलावा विक्रेताओं द्वारा सौर छतों की स्थापना के 15 दिनों के बाद ही केंद्रीय वित्तीय सहायता आवेदकों के बीच उनके बैंक खातों में सीधे वितरित की जा रही है।
उन्होंने बताया कि घरेलू उपभोक्ताओं के पक्ष में 3 किलोवाट की स्थापना क्षमता तक भारत सरकार द्वारा 33,000 रुपए प्रति किलोवाट की सबसिडी दी जा रही है, जबकि केंद्र शासित प्रदेश सरकार द्वारा 3000 रुपए प्रति किलोवाट की अतिरिक्त सबसिडी दी जा रही है।
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यह भी बताया गया कि जम्मू और कश्मीर संभागों में संबंधित डिस्कॉम को लगभग 11,000 आवेदन प्राप्त हुए हैं, जबकि अब तक 617 स्थापनाएं की जा चुकी हैं।
बैठक में बताया गया कि भविष्य में बिजली दरों में संशोधन के साथ बचत में वृद्धि होने जा रही है। यह बताया गया कि यह योजना ए.टी. एंड सी. घाटे को सीमित करने और उपभोक्ताओं को बिजली आपूर्ति में दक्षता लाने की हमारी प्रगति में काफी सुधार करने जा रही है।
मुख्य सचिव ने बाद में जम्मू-कश्मीर ऊर्जा विकास एजैंसी (जे.के.ई.डी.ए.) के माध्यम से सरकारी भवनों के सौरकरण की समीक्षा की। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी आयुक्त सचिव सौरभ भगत ने बैठक को इस योजना की समग्र प्रगति के बारे में सूचित करते हुए बताया कि 4108 भवनों को कवर किया गया है, जिससे 35.2 मैगावाट की क्षमता स्थापित की गई है।
इसके अलावा विक्रेताओं ने आज तक 13.6 मैगावाट की क्षमता स्थापित की है। कार्य की समग्र मात्रा के बारे में यह बताया गया कि कैपेक्स के तहत सरकारी भवनों पर ग्रिड से जुड़े सौर छतों की कुल 70 मैगावाट क्षमता स्थापित की जाएगी तथा एन.एच.पी.सी. और जे.के.ई.डी.ए. द्वारा संचयी रूप से आर.ई.एस.सी.ओ. मोड के तहत अतिरिक्त 238 मैगावाट क्षमता स्थापित की जाएगी।
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