Edited By VANSH Sharma, Updated: 23 May, 2025 04:59 PM

इन विभिन्न प्रकार की चेरी की कीमतें भी भिन्न-भिन्न होती हैं।
गांदरबल (मीर आफताब ): जैसे ही कश्मीर के बगीचों में चेरी की पहली लाली छाने लगती है, घाटी में एक शांत आशा व्याप्त हो जाती है। हवा में पके हुए फलों की खुशबू आती है, और पत्तियों की सरसराहट फसलों की सावधानीपूर्वक कटाई के साथ आती है। लेकिन इस क्षणभंगुर मौसम की सुंदरता के पीछे संघर्ष, परंपरा और नाजुक आर्थिक जीवन रेखा की कहानी छिपी है।
कश्मीर में चेरी की खेती, जो गांदरबल, शोपियां, बारामूला और श्रीनगर जैसे जिलों में केंद्रित है, घाटी के बागवानी कैलेंडर की शुरुआत का प्रतीक है। भारत के कुल चेरी उत्पादन में लगभग 95% का योगदान करते हुए, कश्मीर के बाग सिर्फ प्राकृतिक नहीं हैं, वे हजारों कृषक परिवारों के दिल की धड़कन हैं। इन दिनों कश्मीर में चेरी चुनने का मौसम जोरों पर है।
लेकिन इस फल को खरीदने वाले ज्यादातर लोग दूसरे राज्यों से आये पर्यटक थे। लेकिन पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद यहां पर्यटन पर छाई खामोशी से साफ पता चलता है कि इस फल की खरीद पर भी भारी नकारात्मक असर पड़ा है। यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि चेरी कई प्रकार की होती हैं, जिनमें से सबसे आम हैं नंबर वन चेरी, डबल चेरी और मखमली चेरी। इन विभिन्न प्रकार की चेरी की कीमतें भी भिन्न-भिन्न होती हैं।
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