Edited By VANSH Sharma, Updated: 18 May, 2025 04:24 PM

इस रोड शो में उम्मीद और शांति का संदेश दिया।
श्रीनगर ( मीर आफताब ) : मई की ठंडी हवा में "वेलकम टू पैराडाइज़" के बैनर और झंडों के साथ, रविवार सुबह डल लेक से करीब 300 गाड़ियों का कारवां पहलगाम की ओर निकला। इस रोड शो का मकसद था उम्मीद और शांति का संदेश देना।
यह आयोजन टूरिज्म इंडस्ट्री ने किया था, जिसमें ट्रांसपोर्टर्स, होटल मालिक, दुकानदार और युवा भी अपने आप शामिल हो गए। यह कार्यक्रम 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद एक मजबूत जवाब था, जिसमें 26 पर्यटक मारे गए थे और पर्यटन पूरी तरह से रुक गया था।
हमले के बाद सब कुछ ठप हो गया। होटल खाली हो गए, शिकारे बीच झील में रुक गए। लेकिन आज इस रैली से हम कह रहे हैं कि कश्मीर सुरक्षित है और मेहमानों के लिए तैयार है।
हमले के बाद कश्मीर में डर का माहौल बन गया था। पर्यटक लौट गए, दुकानों के शटर गिर गए और घाटी की चहल-पहल गायब हो गई। लेकिन कश्मीर के लोगों ने हार नहीं मानी। उन्होंने कहा कि हम सिर्फ पर्यटकों को बुला नहीं रहे, हम ये कह रहे हैं कि कश्मीर के लोग शांति के साथ खड़े हैं। हमारे घरों के दरवाज़े खुले हैं, दिल खुले हैं।
रैली जब अनंतनाग, बिजबेहाड़ा और मट्टन से गुज़री, तो सैकड़ों लोग सड़क किनारे खड़े होकर झंडे लहरा रहे थे, नारे लगा रहे थे : "अमन का पैग़ाम — कश्मीर की शान!"
होटल मालिक रियाज़ अहमद ने कहा कि ये सिर्फ कारोबार की बात नहीं है। ये हमारी पहचान की बात है। पर्यटन कश्मीर की अर्थव्यवस्था की जान है और हमारी दुनिया से जुड़ने का ज़रिया भी। 22 अप्रैल के हमले के बाद सुरक्षा कड़ी कर दी गई है। जगह-जगह चेकिंग, निगरानी और सुरक्षा बलों की तैनाती बढ़ा दी गई है ताकि पर्यटकों को भरोसा मिले। जब रैली पहलगाम पहुंची, तो वहां का माहौल फिर से जिंदा हो गया था।
लोगों ने केहवा और पारंपरिक नाश्ते पेश किए, बच्चों ने शांति के झंडे लहराए और कलाकारों ने रौफ़ नृत्य किया, यह था वापसी, उम्मीद और ज़िंदगी का जश्न। ट्रैवल ब्लॉगर वसीम अहमद ने कहा कि मैं चाहता हूँ कि मेरे बच्चे एक ऐसे कश्मीर में बड़े हों जो शांति, संस्कृति और सुंदरता से भरा हो डर की खबरों से नहीं।
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