Edited By Sunita sarangal, Updated: 10 Jul, 2024 03:14 PM
मीडिया से बात करते हुए स्थानीय निवासियों ने कहा कि वे 1998 में अपने जन्मस्थान से विस्थापित हो गए थे
बांदीपुरा(मीर आफताब): दशकों के इंतजार और शांति की उम्मीद के बाद 1990 के दशक में आतंकवाद के डर से उत्तरी कश्मीर के बांदीपुरा जिले के शमथान गांव से पलायन करने वाले सैकड़ों परिवार अपने घर लौटना चाहते हैं।
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मीडिया से बात करते हुए स्थानीय निवासियों ने कहा कि वे 1998 में अपने जन्मस्थान से विस्थापित हो गए थे, जब कश्मीर घाटी में आतंकवाद अपने चरम पर था। स्थानीय निवासी मुमताज अहमद ने कहा कि वे लगभग 30 वर्षों के बाद फिर से अपने घरों में आकर बहुत खुश हैं। उन्होंने अपने घरों से दूर रहकर बहुत संघर्ष किया है, जहां वे बड़े हुए और बचपन में खेले। वे अपने घरों में स्थायी रूप से लौटना चाहते हैं, लेकिन बुनियादी सुविधाओं की कमी उनकी उम्मीदों में बाधा बन रही है।
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एक अन्य निवासी इरशाद अहमद ने कहा कि वे पिछले तीन दशकों से अपने घरों में जाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। अब जबकि घाटी में सामान्य स्थिति लौट आई है, वे वापस जाना चाहते हैं, लेकिन सड़कों और पानी-बिजली जैसी बुनियादी सुविधाओं की कमी उन्हें वापस लौटने से रोकती है।
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निवासियों ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी से अपील की है कि उनके गांव में बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराई जाएं ताकि वे फिर से अपने घरों में शांति से रह सकें। उन्हें उम्मीद है कि सरकार उनके लिए बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराएगी ताकि वे बिना किसी परेशानी के रह सकें।