Edited By Neetu Bala, Updated: 03 Nov, 2024 07:59 PM
पुल बनने से राजौरी शहर में यातायात के जाम से राहत मिलने की उम्मीद थी, जिससे स्थानीय निवासियों को काफी फायदा होता।
राजौरी (शिवम) : राजौरी शहर में बडाला मांग पुल परियोजना, जो 2016 में शुरू हुई थी अभी तक अधूरी पड़ी है। इसका मुख्य कारण यह है कि पुल के संरेखण पर सेना ने आपत्ति जताई थी, जिससे इस पर चल रहा काम रुक गया था। पुल बनने से राजौरी शहर में यातायात के जाम से राहत मिलने की उम्मीद थी, जिससे स्थानीय निवासियों को काफी फायदा होता। हालांकि, सेना की आपत्ति के बाद से यह परियोजना ठप्प है और इससे जनता को काफी असुविधा का सामना करना पड़ रहा है।
बडाला मांग पुल 2016 में शुरू किए गए 4 नए पुलों में से एक था, जिसका उद्देश्य राजौरी शहर के भीतर बढ़ती यातायात की भीड़ को कम करना और राष्ट्रीय राजमार्ग के लिए वैकल्पिक लिंक प्रदान करना था। इन पुलों के निर्माण से शहर के अंदर यातायात का प्रवाह सुगम होना था, जिससे स्थानीय निवासियों व यात्रियों को सुविधा मिलती, लेकिन सेना द्वारा संरेखण पर उठाई गई आपत्तियों के कारण यह परियोजना अधर में लटकी हुई है। इसका लाभ अब तक जनता तक नहीं पहुंच पाया है।
परियोजना के तहत राजौरी-तवी नदी पर होना है डबल लेन पुल का निर्माण
इस परियोजना के तहत राजौरी-तवी नदी पर एक डबल लेन पुल का निर्माण करना है, जो पंजपीर क्षेत्र और बड़ाला मांग के बीच सीधा संपर्क प्रदान करता। ये दोनों क्षेत्र राजौरी तवी नदी के विपरीत किनारों पर स्थित हैं और इस पुल से उनके बीच यातायात आसान हो जाता। इसके निर्माण से स्थानीय निवासियों को आवागमन में सुविधा होती और राजौरी शहर के यातायात को सुगम बनाने में भी सहायता मिलती।
2 अगस्त 2016 में हुआ था पुल परियोजना का शिलान्यास
इस पुल परियोजना के स्वीकृत मॉडल और तकनीकी विशिष्टताओं में 4&40 मीटर स्पैन वाला प्रीस्ट्रेस्ड कंक्रीट बॉक्स गर्डर डिजाइन शामिल है। इसे केंद्रीय सड़क कोष (सी.आर.एफ.) के तहत मंजूरी दी गई थी। इस पुल परियोजना का शिलान्यास 2 अगस्त 2016 को तत्कालीन कैबिनेट मंत्री चौधरी जुल्फकार अली, कैबिनेट मंत्री अब्दुल गनी कोहली और जम्मू-कश्मीर लोक निर्माण विभाग के मंत्री अब्दुल रहमान वीरी द्वारा किया गया था।
मुद्दे को हल करने के हुए कई प्रयास, मगर नहीं निकल सका ठोस समाधान
इस पुल परियोजना का प्राधिकरण लोक निर्माण विभाग (सड़क और भवन विभाग) है। जबकि इसका निष्पादन जम्मू-कश्मीर प्रोजैक्ट्स कंस्ट्रक्शन कॉर्पोरेशन (जे.के.पी.सी.सी.) द्वारा किया जा रहा था। 2016 में आधारशिला रखने के बाद पुल का निर्माण कार्य शुरू हुआ और इसके पिल्लर्स लगभग पूरे हो गए थे, लेकिन सेना ने पुल के संरेखण पर आपत्ति जताई, जिसमें कहा गया कि पुल का एक हिस्सा सेना के शिविर की ओर जा रहा है। इसके बाद काम रोक दिया गया और तब से इसे दोबारा शुरू नहीं किया जा सका है। सेना से परामर्श कर इस मुद्दे को हल करने के कई प्रयास किए, लेकिन अब तक कोई ठोस समाधान नहीं निकल सका, जिससे परियोजना अधर में लटकी हुई है।
“राजौरी क्षेत्र के बडाला में पुल एवं अन्य मुद्दों को लेकर मुख्यमंत्री के समक्ष मामला उठाया गया है। उन्होंने आश्वासन दिया कि सरकार जल्द ही इसका समाधान निकालेगी और आवश्यक कदम उठाएगी। इसके अतिरिक्त उन्होंने पुल निर्माण कार्य को प्राथमिकता के साथ शुरू करवाने का भी आश्वासन दिया।
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