Edited By Kamini, Updated: 28 Jul, 2025 11:28 AM

एक बेहद ही चिंताजनकर खबर सामने आई है। जानकारी के अनुसार, चावल की खेती को बौनेपन की बीमारी के संकेत मिले हैं।
कठुआ : एक बेहद ही चिंताजनकर खबर सामने आई है। जानकारी के अनुसार, चावल की खेती को बौनेपन की बीमारी के संकेत मिले हैं। इस बीमारी के संकेत पंजाब से जुड़ी सीमा ब्लॉक किड़ियां गंडयाल के जगतपुर में मिले हैं। दरअसल पंजाब की सीमा के पास जल्दी रोपाई वाले खेतों में चावल के बौनेपन का एक हल्का मामला देखा गया है, जिसके दक्षिणी चावल के काली धारीदार बौने विषाणु से जुड़े होने का संदेह है।
हालांकि इसकी चेतावनी सबसे पहले कृषि विज्ञान केंद्र कठुआ द्वारा जारी की गई थी। जिसके बाद शेर-ए कश्मीर कृषि विज्ञान एवं तकनीक वि.वि. ( स्कॉस्ट जम्मू ) के वैज्ञानिकों ने तुरंत मौके पर जाकर आकलन किया और फसल में सफेद पीठ वाले पादप फुदक का हल्का संक्रमण (Whitebacked planthopper) दर्ज किया। फसल में इस तरह का संक्रमण खरीफ 2022 के दौरान पंजाब, हरियाणा और कठुआ के सीमावर्ती क्षेत्र सहित जम्मू प्रांत के कुछ स्थानों पर दर्ज किया गया था, जो इस बार भी दर्शा रहा है। इसके लिए कृषि विवि स्कॉस्ट से एहतियाती चेतावनी दी गई है, जिसमें किसानों को घबराने की नहीं, समझदारी से कदम उठाने का आग्रह किया गया है।
वैज्ञानिक सर्वेक्षण का नेतृत्व मुख्य वैज्ञानिक डॉ. राजन सलालिया (कीट विज्ञान) और डॉ. वी.बी. सिंह (प्लांट पैथोलॉजी), डॉ. विशाल महाजन (कृषि विज्ञान केंद्र कठुआ) और डॉ. अनामिका जंवाल (कृषि विज्ञान केंद्र कठुआ) के साथ किया। यह दौरा स्कॉस्ट के कुलपति प्रो. बी.एन. त्रिपाठी के कुशल नेतृत्व में और निदेशक अनुसंधान प्रो. एस.के. गुप्ता और निदेशक विस्तार प्रो. अंबरीश वैद के तकनीकी मार्गदर्शन में आयोजित किया गया था। टीम ने चावल की किस्मों पीआर 113 और समाना शक्ति 7501 में 1 से 4 प्रतिशत बौनापन देखा। जिसके बाद किसानों को सलाह दी गई है कि वे केवल तभी छिड़काव करें जब डब्ल्यूबीपीएच की गणना प्रति पहाड़ी 5-10 कीटों के आर्थिक सीमा स्तर (ईटीएल) से अधिक हो और व्यापक कीटनाशक के उपयोग से बचें।
परजीवी ततैया, मकड़ियां और जलीय शिकारी (जैसे डैमसेल्फ़्ली, भृंग) जैसे प्राकृतिक शत्रु कीटों की आबादी को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और जहां तक संभव हो, उनका संरक्षण किया जाना चाहिए। जिसमें डाइनोटेफ्यूरान, पाइमेट्रोजीन, ट्राइफ्लुमेजोपाइरिम, थायमेथोक्सम का छिड़काव कर सकते हैं। किसानों से आग्रह है कि वे कोई भी कीटनाशक छिड़कने से पहले केवीके विशेषज्ञों या कृषि अधिकारियों से सलाह लें।
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