Edited By Neetu Bala, Updated: 20 Jul, 2025 02:57 PM
श्रीनगर ( मीर आफताब ) : जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद की कमर तोड़ने और शांति बहाली के संकल्प को दोहराते हुए, उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने रविवार को स्पष्ट शब्दों में कहा कि केंद्र शासित प्रदेश की प्रशासनिक नीति अब "शांति की कीमत चुकाने" की नहीं, बल्कि स्थायी और न्यायपूर्ण शांति स्थापित करने की है। उन्होंने ज़ोर देते हुए कहा कि आतंक के विरुद्ध लड़ाई में न कोई निर्दोष फंसेगा और न कोई दोषी बचेगा।
यहां एक कार्यक्रम में बोलते हुए, उपराज्यपाल सिन्हा ने आतंकवादी तंत्र को ध्वस्त करने में जम्मू-कश्मीर पुलिस की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने कहा, "पुलिस की आतंकवादियों के समर्थन तंत्र को नष्ट करने की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है—चाहे वह वित्तीय हो, सैन्य हो या अन्य।" उन्होंने आगे कहा, "सिर्फ आतंकवादी से ही नहीं, बल्कि आतंक को बढ़ावा देने वाली पूरी मशीनरी से भी निपटना जरूरी है।"
उन्होंने अतीत के उस रवैये की आलोचना की, जिसमें आतंकवादी गतिविधियों से जुड़े लोगों को सरकारी नौकरियां दी जाती थीं, जबकि आतंकवाद के पीड़ितों की उपेक्षा की जाती थी और उन्हें अपने हाल पर छोड़ दिया जाता था।
ये भी पढ़ेंः बड़ी खबर : Pakistan से कनेक्शन बेनकाब ! Kashmir में 10 ठिकानों पर छापा, मचा हड़कंप
क्षेत्र के सुधार में एक नए अध्याय का जिक्र करते हुए, उपराज्यपाल ने बताया कि प्रशासन अब उन परिवारों के पुनर्वास के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहा है, जो आतंकवादियों के हाथों पीड़ित हुए हैं। उपराज्यपाल सिन्हा ने कहा, "जम्मू-कश्मीर में कई परिवारों ने आतंकवाद के कारण अपने प्रियजनों को खो दिया है। कुछ घरों में, अपने बेटों की बेरहमी से हत्या के बाद केवल बुज़ुर्ग माता-पिता ही बचे हैं। पाकिस्तान के इशारे पर हजारों लोग मारे गए।"
उन्होंने कहा कि 13 जुलाई को बारामूला में आतंकवाद पीड़ित 40 परिवारों को नियुक्ति पत्र दिए गए। उन्होंने कहा, "कुछ युवाओं ने अपने पिता को तब खो दिया जब वे सिर्फ दो साल के थे। आज, हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि उनके दर्द को समझा जाए और न्याय मिले।"
जनता से सुरक्षा बलों के साथ एकजुट होने का आह्वान करते हुए, उपराज्यपाल ने कहा कि "नया जम्मू-कश्मीर" सिर्फ़ एक नारा नहीं, बल्कि एक हकीकत है जो पिछले कुछ वर्षों में विकसित हुई है। उन्होंने आगे कहा, "इस नए दौर में, युवाओं के हाथों में पत्थरों की जगह कलम और लैपटॉप ने ले ली है। स्कूल और कॉलेज अब बिना किसी हड़ताल के साल भर खुले रहते हैं। अलगाववादी नारों और बंद के कैलेंडर के दिन अब लद गए हैं। आज, हमारे कैलेंडर राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय आयोजनों से भरे हैं।"
उपराज्यपाल सिन्हा ने युवाओं में स्टार्टअप और नवाचार में वृद्धि का भी उल्लेख किया, जो पिछली अशांति से एक उल्लेखनीय बदलाव है। "नए जम्मू-कश्मीर में, कारखानों के शोर ने अलगाववादी नारों की जगह ले ली है। लोग अब मुहर्रम के जुलूस और ईद मेले जैसे धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में खुलकर हिस्सा ले सकते हैं, और परिवार बिना किसी डर के घूम सकते हैं और सिनेमाघरों में फिल्में देख सकते हैं।"
उपराज्यपाल सिन्हा ने कहा, "लोगों को सुरक्षा बलों के साथ हाथ मिलाना चाहिए। शांति केवल संघर्ष की अनुपस्थिति नहीं है—यह न्याय, अवसर और आशा की उपस्थिति है। और हम उस शांति को एक स्थायी वास्तविकता बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।"
अपने शहर की खबरें Whatsapp पर पढ़ने के लिए Click Here