Edited By Sunita sarangal, Updated: 30 Aug, 2024 03:09 PM
जम्मू-कश्मीर और लद्दाख अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश बन गए।
जम्मू: अनुच्छेद 370 की समाप्ति के बाद जम्मू-कश्मीर में पहली बार आयोजित हो रहे विधानसभा चुनाव 2024 में पल-पल में समीकरण बदल रहे हैं। वर्तमान समीकरण में मुख्य मुकाबला कांग्रेस-नेशनल कांफ्रेंस गठबंधन और भारतीय जनता पार्टी के मध्य ही दिख रहा है।
जम्मू-कश्मीर में पिछली बार 2014 में हुए विधानसभा चुनाव में पी.डी.पी. ने सबसे ज्यादा 28 विधानसभा सीटों पर जीत दर्ज की थी। भारतीय जनता पार्टी 25 सीटों पर जीत हासिल कर दूसरे स्थान पर रही थी। नेशनल कांफ्रेंस को 15 विधानसभा सीटों पर व कांग्रेस को 12 विधानसभा सीटों पर जीत हासिल हुई थी।
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जम्मू-कश्मीर पीपुल्स कांफ्रेंस ने 2 सीटें जीती थीं। पी.डी.पी. और भाजपा ने गठबंधन कर 2015 में सरकार का गठन किया था और यह सरकार 3 साल तक चली। जून 2018 में भाजपा ने समर्थन वापस ले लिया और सरकार गिर गई। इसके पश्चात राज्यपाल शासन लागू हो गया और 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को समाप्त कर दिया गया और जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांट दिया गया।
जम्मू-कश्मीर और लद्दाख अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश बन गए। लद्दाख में विधानसभा का प्रावधान नहीं रखा गया है। जबकि जम्मू-कश्मीर में विधानसभा का प्रावधान होने के बावजूद विधानसभा भंग होने के करीब 6 साल बाद अब विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं।
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पिछले विधानसभा चुनाव में सबसे ज्यादा सीट जीतने वाली पी.डी.पी. की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने चुनाव लड़ने से किनारा कर लिया है लेकिन उसने कई उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतारे हैं। कांग्रेस व नेशनल कांफ्रेंस गठबंधन कर चुनाव लड़ रही हैं जबकि भाजपा अकेले दम पर चुनाव मैदान में है। इस विधानसभा चुनाव में गठबंधन व भाजपा में ही मुख्य मुकाबला देखने को मिल रहा है। हालांकि कई नए दल जिसमें जम्मू-कश्मीर अपनी पार्टी, जम्मू-कश्मीर पीपुल्स कांफ्रेंस, जम्मू-कश्मीर प्रोग्रैसिव आजाद पार्टी, आम आदमी पार्टी, पैंथर्स पार्टी आदि दल भी चुनाव में ताल ठोक रहे हैं। कुल मिलाकर विधानसभा चुनाव में गठबंधन या किसी दल को पूर्ण बहुमत मिलना आसान नहीं है।
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