J&K: Retirement के बाद वेतन लाभ पर High Court का आदेश

Edited By Neetu Bala, Updated: 11 Jan, 2025 08:05 PM

j k high court order on salary benefits after retirement

जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट ने कहा कि किसी कर्मचारी द्वारा सेवा के अंतिम 24 महीनों में प्राप्त वेतन को सेवानिवृ​त्ति लाभ की गणना में चुनौती नहीं दी जा सकती।

जम्मू :  जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट के न्यायाधीश संजीव शुक्ला और न्यायाधीश पुनीत गुप्ता पर आधारित खंडपीठ ने एक ऐतिहासिक फैसले में कहा है कि किसी कर्मचारी द्वारा सेवा के अंतिम 24 महीनों में प्राप्त वेतन को सेवानिवृ​त्ति लाभ की गणना में चुनौती नहीं दी जा सकती है। जैसा कि जम्मू कश्मीर सीएसआर के अनुच्छेद 242 में नर्धिारित है।
इससे पूर्व मामले में एडवोकेट आदत्यि शर्मा ने न्यायिक विभाग के कर्मचारी त्रिलोक​ चंद की ओर से पेश होते हुए कहा कि याचिकाकर्ता का ग्रेच्युटी और अन्य पैंशन लाभ उस अतिरक्ति वेतन के कारण रोक दिया गया था जो याचिकाकर्ता ने निकाला था।

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एडवोकेट शर्मा ने तर्क दिया कि जम्मू कश्मीर सीएसआर के अनुच्छेद 242 के तहत सेवानिवृ​त्ति लाभ को 24 महीने के बाद चुनौती नहीं दी जा सकती और यह अंतिम निकाले गए वेतन के अनुसार ही होना चाहिए। याचिकाकर्ता ने प्रधान जिला न्यायाधीश कार्यालय कठुआ में प्रोसेस सर्वर के रूप में काम किया और जो अतिरक्ति वेतन उन्होंने लिया वह अ​धिकारियों के ध्यान में नहीं आया। इसलिए सेवानिवृ​त्ति के इतने महीनों के बाद इसे चुनौती देना अनुचित है।

यह भी तर्क दिया गया कि ​अतिरक्ति वेतन देना अ​धिकारियों की लापरवाही के कारण हुआ और याचिकाकर्ता ने उसी के अनुसार अपना जीवन समायोजित कर लिया। ऐसे में सेवानिवृ​त्ति के बाद भारी रा​शि की वसूली करना कठोर कदम है।

दलील सुनने के बाद खंडपीठ ने याचिकाकर्ता का ग्रेच्युटी और पैंशन रोकने का आदेश रद्द कर दिया और निर्देश दिया कि इसे याचिकाकर्ता के अंतिम वेतन के आधार पर जारी किया जाए।

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