Edited By Subhash Kapoor, Updated: 16 Aug, 2024 06:58 PM
जम्मू कश्मीर में 10 सालों के बाद विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं, जिसके मद्देनजर चुनावों आयोग की तरफ से तारीखों का ऐलान भी कर दिया गया है तथा 30 सितम्बर तक यहां विधानसभा चुनाव करवाने के निर्देश दिए गए हैं।
जम्मू : जम्मू कश्मीर में 10 सालों के बाद विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं, जिसके मद्देनजर चुनावों आयोग की तरफ से तारीखों का ऐलान भी कर दिया गया है तथा 30 सितम्बर तक यहां विधानसभा चुनाव करवाने के निर्देश दिए गए हैं। राज्य में तीन चरणों में चुनाव होने जा रहे हैं, जिसमें पहले चरण के चुनाव 18 सितम्बर को होंगे, वहीं दूसरे चरण के चुनाव 25 सितम्बर व तीसरे चरण के चुनाव 1 अक्तूबर को होंगे। लेकिन इस सबके बीच आपको यह बता दें कि इससे पहले 2014 के विधानसभा चुनाव और इस बार के चुनाव में जमीन आसमान का अंतर देखने को मिलेगा। दरअसल इस बार के चुनाव पहले के चुनावों से अलग होने जा रहे हैं क्योंकि 10 सालों के अंतराल में राज्य की स्थिति अब काफी बदल चुकी है।
बता दें कि 2019 में राज्य दो हिस्सों में बंट गया था, जिसमें पहला जम्मू कश्मीर और दूसरा लद्दाख है। दोनों ही अब केंद्र शासित प्रदेश हैं। इन दोनों में से सिर्फ जम्मू कश्मीर ही ऐसा राज्य है, जहां पर विधानसभा है, जबकि लद्दाख में ऐसा कुछ नहीं है। इससे पहले राज्य में सभी शक्तियां चुनी हुई सरकार के पास ही होती थीं, लेकिन अब ऐसा कुछ होने वाला नहीं है। अब ज्यादातर मामलों में उपराज्यपाल को कमान सौंपी गई है। पुलिस, जमीन और पब्लिक आर्डर जैसे मामलों पर उपराज्यपाल को शक्तियां सौंपी गई है, जबकि अन्य फैसले सरकार के पास होंगे।
वहीं बात करें राज्य के कश्मीरी पंडितों तो इस बार के चुनावों में 2 सीटें कश्मीरी पंडितों के लिए रिजर्व रखी गई हैं। इस हिसाब से अब की बार कुल मिलाकर जम्मू कश्मीर में 93 सीटें होंगी, लेकिन चुनाव 90 सीटों पर ही होंगे, जबकि 3 सीटों पर केंद्र सरकार उम्मीदवार को नामित करेगी। इसके साथ ही राज्य में एस.सी., एस.टी. के लिए 16 सीटें रिजर्व रखी गई हैं।
इस सबके बीच राज्य में इस बार होने जा रहे विधानसभा चुनाव सभी राजनीतिक दलों के लिए खास होंगे। क्योंकि 2014 में जब यहां पर आखिरी बार चुनाव हुए थे तब से लेकर अब तक बहुत कुछ बदल चुका है। सीटों की संख्या में भी अब बढ़ौतरी हो गई है। वहीं इस बार होने वाले विधानसभा चुनावों के दौरान धारा 370 हटाए जाने के फैसले का भी काफी प्रभाव देखने को मिलेगा क्योंकि ज्यादातर कश्मीर की जनता इस फैसले से नाराज दिख रही है, जिसका प्रभाव चुानव में देखने को मिल सकता है।