BJP के साथ DPAP के गठबंधन की अटकलों के बीच आया गुलाम नबी आजाद का बयान

Edited By Neetu Bala, Updated: 04 Apr, 2024 04:25 PM

ghulam nabi azad s statement came amid speculations about dpap s

उन्होंने कहा, “ ‘ए' और ‘बी' टीम में वे लोग शामिल हैं जो भाजपा नेता अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में मंत्री थे,

श्रीनगर : जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद ने अपनी प्रतिद्वंद्वी नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की ओर से लगाए गए इस आरोप को खारिज किया है कि उनकी नवगठित पार्टी की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ सांठगांठ है। भाजपा के साथ नेकां और पीडीपी के अतीत में हुए गठबंधन पर आजाद ने पूछा कि क्या वे भाजपा की ‘बी' टीम हैं? 

आजाद ने पीटीआई की वीडियो सेवा के साथ बातचीत में कहा कि उनकी पार्टी की प्राथमिकताओं में जम्मू-कश्मीर का पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल कराना शामिल है और यह दिल्ली तथा पुडुचेरी जैसे केंद्र शासित प्रदेशों की तर्ज पर न हो। वह अपनी डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी (डीपीएपी) से चुनाव लड़ रहे हैं। इस सवाल पर कि उनकी पार्टी को भाजपा की ‘बी टीम' के रूप में देखा जाता है, आजाद ने भाजपा के साथ क्षेत्रीय दलों के पुराने संबंधों की ओर इशारा किया। उन्होंने कहा, “ ‘ए' और ‘बी' टीम में घाटी के वे लोग शामिल हैं जो भाजपा नेता अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में मंत्री थे, या जिन्होंने राज्य में भाजपा के विधायकों की मदद से सरकार चलाई।” 

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पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, “मैंने कभी किसी से मदद नहीं ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के समय में, मैं विपक्ष का नेता था, मंत्री नहीं। जब मैं मुख्यमंत्री था तो मैंने भाजपा से कोई समर्थन नहीं लिया। आप जानते हैं कि वे राजनीतिक दल कौन हैं और उन्हें भी पता होगा कि दूसरों पर उंगली उठाने से पहले उन्हें खुद पर नजर डालनी चाहिए।” पीडीपी का भाजपा के साथ राजनीतिक गठबंधन था। भाजपा के समर्थन से दिवंगत मुफ्ती मोहम्मद सईद और उनकी बेटी महबूबा मुफ्ती भी राज्य की मुख्यमंत्री रही थीं जबकि नेकां के उमर अब्दुल्ला 1999 में वाजपेयी नीत केंद्र सरकार में राज्य मंत्री रहे। 

आज़ाद ने विरोधियों को ‘ए', ‘बी', या ‘सी' टीम बताने के चलन की आलोचना की। उन्होंने कहा, ‘‘जो लोग किसी व्यक्ति विशेष से डरते हैं, वे उस पर हमला करना शुरू कर देते हैं। अगर लोग मुझे वोट देते हैं तो उन्हें वोट देने दीजिए। उन्हें चुनाव करने दें कि संसद में उनका प्रतिनिधित्व कौन कर सकता है।'' 

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नामांकन दाखिल करने के अपने फैसले पर, आजाद ने तर्क दिया कि उन्हें नहीं पता कि जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव कब होगा और इसलिए उन्होंने लोकसभा चुनाव लड़ने का फैसला किया। आजाद ने कांग्रेस के साथ अपना पांच दशक पुराना नाता तोड़ लिया था। वह अनंतनाग-राजौरी सीट से चुनाव मैदान में हैं। उच्चतम न्यायालय ने जम्मू कश्मीर में 30 सितंबर तक चुनाव कराने के निर्देश दिए हैं। आजाद ने कहा, ‘‘मेरी एक आदत जोखिम लेने की है और दूसरी आदत सामने से लड़ने की है। मैं सामने से लड़ता हूं, चाहे नतीजा कुछ भी हो।” उन्होंने कहा कि उनका एजेंडा विधानसभा चुनाव था लेकिन इस बीच बहुत सारे घटनाक्रम हुए और उन्हें लगा कि संसदीय चुनाव करीब आ रहा है तथा उन्हें पहले इस पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। 

आजाद ने इन अटकलों को भी खारिज किया कि उनकी पार्टी भाजपा के साथ गठबंधन कर सकती है। इस आरोप के बारे में पूछे जाने पर कि भाजपा (दक्षिण कश्मीर में) डीपीएपी के जरिए मतों को विभाजित करने की कोशिश में है, वरिष्ठ नेता ने कहा कि वह ऐसे आरोप लगाने वालों से यह सवाल पूछ सकते हैं कि वे डीपीएपी के वोट काट रहे हैं। जम्मू-कश्मीर में परिसीमन प्रक्रिया की आलोचना करते हुए, आजाद ने इसे अव्यावहारिक करार दिया, खासकर अनंतनाग-पुंछ-राजौरी निर्वाचन क्षेत्र के गठन पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि यह "गैर-व्यावहारिक कवायद है तथा दिमाग का इस्तेमाल किए बिना यह किया गया है। उन्होंने कहा, “मुझे बताया गया है कि यह गूगल पर किया गया था। अल्लाह का शुक्र है, दूसरी तरफ (पाकिस्तान) के हिस्से नहीं हैं। अगर आप गूगल के आधार पर परिसीमन कर रहे हैं, तो अल्लाह ही हमें बचाएं।” 

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