पारम्परिक रीति-रिवाज से शुरू हुआ Baba Chamliyal Mela,पाकिस्तान से नहीं आई चादर

Edited By Neetu Bala, Updated: 27 Jun, 2024 02:48 PM

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पाकिस्तान की तरफ से बाबा की मजार पर चढ़ाने के लिए चादर आई और न ही भारत की तरफ से बाबा जी की मजार का प्रसाद शरबत-शक्कर पाकिस्तान श्रद्धालुओं के लिए भेजी गई

सांबा (अजय) : जिला सांबा के भारत-पाकिस्तान इंटरनेशनल बार्डर पर विश्व प्रसिद्ध बाबा चमलियाल की मजार पर वार्षिक मेले का आयोजन शुरू हो गया है। तड़के सुबह बीएसएफ के अधिकारियों ने पूरे रस्मों रिवाज के साथ बाबा दलीप सिंह मन्हास की समाधि पर चादर चढ़ाकर इसकी शुरुआत की। इस दौरान बड़ी संख्या में बीएसएफ के जवानों और कमेटी के सदस्यों ने भी माथा टेका और उसके बाद मेले की शुरुआत कर दी गई। बीएसएफ के कमांडैंट इस दौरान प्रमुख रूप से मौजूद थे।

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मान्यता के अनुसार बाबा के दरबार में आने वाले कई चर्म रोग से पीड़ित हफ्तों सेवा कर रोग से मुक्ति की प्रार्थना करते हैं। जम्मू-कश्मीर के अलावा पंजाब, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड़ से भी कई चर्म रोग पीड़ित इन दिनों बाबा दलीप सिंह मन्हास के समाधि स्थल पर रहकर पवित्र शरबत-शक्कर का लेप लगाकर रोगों से मुक्ति की प्रार्थना कर रहे हैं।

वर्ष 2018 में भी मेला पारंपरिक रीति से संपन्न नहीं हो पाया था। मेले से छह दिन पूर्व पाकिस्तान की ओर से की गई फायरिंग में शहीद हुए बीएसएफ के चार जवानों की शहादत के बाद भारत सरकार व केंद्रीय गृह मंत्रालय व बीएसएफ ने पाक रेंजरों को न तो मेले का न्यौता दिया था, न ही पाकिस्तान की तरफ से बाबा की मजार पर चढ़ाने के लिए चादर आई और न ही भारत की तरफ से बाबा जी की मजार का प्रसाद शरबत-शक्कर पाकिस्तान श्रद्धालुओं के लिए भेजी गई और इस बार भी ऐसा ही हुआ।

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