Edited By Neetu Bala, Updated: 30 Mar, 2025 04:05 PM

जम्मू-कश्मीर के कठुआ में हाल ही में हुई मुठभेड़ के बाद केंद्र सरकार की चिंताएं बढ़ा दी हैं।
जम्मू-कश्मीर: जम्मू-कश्मीर के कठुआ में हाल ही में हुई मुठभेड़ के बाद केंद्र सरकार की चिंताएं बढ़ा दी हैं। सख्त पहरे व चप्पे-चप्पे पर सुरक्षा बलों की चौंकियों के बावजूद आखिर ये आतंकी भारत की सीमा में कैसे मुठभेड़ करते हैं। रक्षा मंत्रालय और गृह मंत्रालय इस को लेकर संबंधित सुरक्षा एजेंसियों को आदेश दिया हैं कि वे रावी नदी से लेकर बसंतर दरिया तक की भौगोलिक परिस्थितियों और अन्य महत्वपूर्ण बिंदुओं का आकलन करते हुए घुसपैठरोधी तंत्र में व्यापक सुधार की कार्ययोजना लागू करें।
सूत्रों के अनुसार, रावी से बसंतर तक का अंतरराष्ट्रीय सीमा का क्षेत्र उबड़-खाबड़, दलदली और घनी आबादी वाला है। यहां की नदी-नाले आतंकियों के लिए बिना किसी गाइड के जम्मू-कश्मीर के विभिन्न हिस्सों तक पहुंचने का आसान साधन बनते हैं। पाकिस्तान में मौजूद आतंकी हैंडलर और पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आतंकियों की घुसपैठ के लिए राजौरी-पुंछ और अखनूर को पहल देती हैं।
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आतंकवादी जम्मू-कश्मीर में किस रास्ते से करते हैं घुसपैठ
जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों की घुसपैठ के लिए कई प्रमुख मार्गों का उपयोग किया जाता है। इनमें से कुछ निम्नलिखित हैं:
राजौरी और पुंछ क्षेत्र: यह क्षेत्र भारत-पाकिस्तान सीमा के निकट स्थित है और यहां से घुसपैठ करने के लिए आतंकवादी अक्सर इन दुर्गम क्षेत्रों का इस्तेमाल करते हैं।
जंगल व पर्वतीय क्षेत्र: जम्मू-कश्मीर के पहाड़ी क्षेत्रों और घने जंगलों में छिपे हुए रास्तों का उपयोग करके आतंकवादी घुसपैठ करते हैं, जहां सुरक्षा बलों की पेट्रोलिंग करना कठिन होता है।
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LoC (लाइन ऑफ कंट्रोल): पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (POK) से सीधे घुसपैठ के लिए आतंकवादी LoC का सहारा लेते हैं। यहां पर सीमारेखा के निकट कई गुफाएं और सुरंगें होती हैं, जो आतंकवादियों को कवर प्रदान करती हैं।
सामाजिक नेटवर्क और स्थानीय सहायता: कुछ मामलों में, स्थानीय युवाओं और समुदायों का सहयोग भी आतंकवादियों को घुसपैठ में सहायता करता है, जिससे वे अधिक आसानी से अपने लक्ष्यों तक पहुंच पाते हैं।
जंगल या बर्फीले क्षेत्र : कभी-कभी आतंकवादी सुरक्षा बलों की सजगता को भंग करते हुए भारी जंगलों या बर्फीले क्षेत्रों का उपयोग करके घुसपैठ करते हैं।
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