Edited By Neetu Bala, Updated: 20 Mar, 2025 07:32 PM

श्रमिक संघ ने सरकार से अपील की है कि कुशल और अति-कुशल श्रमिकों की मजदूरी को तत्काल पूर्व दरों के अनुसार बहाल किया जाए।
राजौरी ( शिवम बक्शी ) : पब्लिक वर्क्स डिपार्टमेंट राजौरी के कुशल और अति-कुशल कैजुअल श्रमिकों की मजदूरी में की गई कटौती के खिलाफ श्रमिक संघ ने कड़ा विरोध जताया है। पी.डब्लू.डी. कैजुअल लेबरर्स एसोसिएशन, पीर पंजाल रेंज के अध्यक्ष मोहम्मद रियाज ने सरकार के इस फैसले को अन्याय करार देते हुए तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। रियाज ने बताया कि वर्ष 2005 से 2015 के बीच नियुक्त कुशल श्रमिकों को श्रम एवं रोजगार विभाग की अधिसूचना (12 अक्टूबर 2022) के अनुसार निम्न दरों पर भुगतान किया जा रहा था:
* अति-कुशल श्रमिक – ₹552 प्रति दिन (₹16,560 प्रति माह)
* कुशल श्रमिक – ₹483 प्रति दिन (₹14,490 प्रति माह)
* अर्ध-कुशल श्रमिक – ₹400 प्रति दिन
* अकुशल श्रमिक – ₹311 प्रति दिन
* प्रशासनिक/मंत्रालयिक कर्मचारी – ₹449 प्रति दिन
हालांकि, मुख्य अभियंता पीडब्ल्यूडी (आर एंड बी) विभाग, पीर पंजाल के मुख्य लेखा अधिकारी द्वारा जारी आदेश संख्या CEP/R&B/Acctts/2024-25/271-286 (दिनांक 01 अक्टूबर 2024) के तहत अब सभी श्रमिकों को केवल ₹311 प्रतिदिन के हिसाब से भुगतान करने का निर्देश दिया गया है, जो कि अकुशल श्रमिकों के लिए तय दर है।
इस फैसले से कुशल और अति-कुशल श्रमिकों की मासिक मजदूरी ₹16,560 और ₹14,490 से घटकर ₹9,300 हो गई है। इससे श्रमिकों के सामने गंभीर आर्थिक संकट खड़ा हो गया है।मजदूरों का कहना है कि इस कटौती से उनका परिवार चलाना मुश्किल हो गया है।
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मोहम्मद रियाज ने कहा, "हमने अपने कौशल के बल पर वर्षों तक विभाग के लिए काम किया है। सरकार द्वारा कुशल श्रमिकों को अकुशल श्रमिकों के बराबर मजदूरी देना सरासर अन्याय है। इससे श्रमिकों का मनोबल गिरा है और उनके परिवारों की आजीविका पर संकट मंडरा रहा है।"
रियाज ने बताया कि पीर पंजाल रेंज के कार्यकारी अभियंताओं ने मुख्य अभियंता पीडब्ल्यूडी (आर एंड बी) विभाग को 08 मार्च 2025 को पत्र संख्या 8115-17 के माध्यम से श्रमिकों की मजदूरी के लिए फंड जारी करने की मांग की थी, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
श्रमिक संघ ने सरकार से अपील की है कि कुशल और अति-कुशल श्रमिकों की मजदूरी को तत्काल पूर्व दरों के अनुसार बहाल किया जाए। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगें पूरी नहीं की गईं तो वे आंदोलन करने को मजबूर होंगे।
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