Edited By Sunita sarangal, Updated: 12 Aug, 2024 10:14 AM
स्वैन ने जोर देकर कहा कि अब तक विलेज डिफैंस ग्रुप के सदस्य सिर्फ पहरेदार की भूमिका निभाते थे, लेकिन अब वे प्रहारक की भूमिका में भी नजर आएंगे।
हीरानगर(लोकेश): जम्मू-कश्मीर के सांबा जिले के सीमावर्ती क्षेत्र राजपुरा में स्थित हायर सैकेंडरी स्कूल में आयोजित बैठक में जम्मू-कश्मीर के पुलिस महानिदेशक (डी.जी.पी.) आर.आर. स्वैन ने विलेज डिफैंस ग्रुप (वी.डी.जी.) के सदस्यों को न केवल सुरक्षा के पहरेदार, बल्कि आतंकवाद के खिलाफ सशक्त प्रहारक बनने के लिए प्रेरित किया। इस बैठक का उद्देश्य सीमावर्ती क्षेत्रों की सुरक्षा को और अधिक सुदृढ़ करना और स्थानीय ग्रामीणों की सक्रिय भागीदारी को बढ़ावा देना था ताकि आतंक के खिलाफ अभियान को नई धार मिल सके।
डी.जी.पी. स्वैन ने सीमावर्ती क्षेत्रों में सुरक्षा की चुनौतियों पर चर्चा करते हुए कहा कि वे हमेशा सुरंगों और नदी क्षेत्रों में एक अलग तरह की चुनौती का सामना करते रहे हैं, लेकिन अब वे इन चुनौतियों का सामना करने के लिए स्थानीय ग्रामीणों की क्षमता एवं शक्ति को एक नए स्तर पर ले जाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि सीमावर्ती गांव के लोग हमेशा से पुलिस और सुरक्षाबलों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े होते रहे हैं। वे घुसपैठ और अतिक्रमण को नाकाम करने में उनकी भागीदारी को और अधिक प्रभावी बनाना चाहते हैं।
स्वैन ने जोर देकर कहा कि अब तक विलेज डिफैंस ग्रुप के सदस्य सिर्फ पहरेदार की भूमिका निभाते थे, लेकिन अब वे प्रहारक की भूमिका में भी नजर आएंगे। वे इन गांवों के सुरक्षा समूहों की संख्या और सदस्यता दोनों को बढ़ाना चाहते हैं। साथ ही उनके द्वारा इन समूहों के लिए हथियारों की गुणवत्ता, उपकरणों और पुलिस और बी.एस.एफ. के साथ समन्वय को भी नए स्तर पर ले जाने की योजना बनाई जा रही है। इससे न केवल सुरक्षाबलों की ताकत बढ़ेगी, बल्कि आतंकवादियों के खिलाफ निर्णायक प्रहार करने की क्षमता भी बढ़ेगी।
डी.जी.पी. ने स्पष्ट किया कि इस नई रणनीति के तहत विलेज डिफैंस ग्रुप के सदस्य आतंकवादियों के खिलाफ मोर्चा संभालने में और भी सक्षम होंगे। उन्होंने कहा कि वे चाहते हैं कि ग्रामीण न केवल अपने गांवों की सुरक्षा करें बल्कि आतंक के खिलाफ चल रहे अभियान में एक प्रमुख भूमिका निभाएं। बैठक के दौरान स्थानीय ग्रामीणों ने अपनी समस्याओं और सुरक्षा से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर खुलकर चर्चा की।
गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर में इस प्रकार के प्रयासों से यह स्पष्ट हो गया है कि अब सीमावर्ती गांवों के लोग सिर्फ दर्शक नहीं बल्कि सक्रिय भागीदार बनेंगे, जो आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में निर्णायक भूमिका निभाएंगे। यह नई पहल राज्य में सुरक्षा और शांति को बढ़ावा देने में मील का पत्थर साबित हो सकती है। इस मौके पर ए.डी.जी.पी. आनंद जैन, आई.जी. आर्म्ड महिंद्र नाथ तिवारी, डी.आई.जी. सुनील गुप्ता, बी.एस.एफ. के आई.जी. डी.के. बूरा, एस.एस.पी. सांबा विनय शर्मा, ए.एस.पी. सांबा सुरेंद्र चौधरी, डी.एस.पी. हैडक्वार्टर भीष्म दुबे, थाना प्रभारी सिकंदर सिंह चौहान एवं अन्य अधिकारी मौजूद थे।