Edited By VANSH Sharma, Updated: 17 May, 2025 05:20 PM

भारत-पाक के बीच झेलम नदी पर प्रस्तावित तुलबुल परियोजना को लेकर एक बार फिर विवाद छिड़ गया है।
जम्मू डेस्क : भारत-पाक के बीच झेलम नदी पर प्रस्तावित तुलबुल परियोजना को लेकर एक बार फिर विवाद छिड़ गया है। जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने इस परियोजना को फिर से शुरू करने की मांग उठाई है। उमर का कहना है कि इस परियोजना से कश्मीर के लोगों को बड़ा फायदा होगा। हालांकि, पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती ने उमर अब्दुल्ला के इस कदम का विरोध किया है। महबूबा का कहना है कि यह भावना भड़काने वाला फैसला है। लेकिन उमर अब्दुल्ला ने जवाब दिया कि अगर पाकिस्तान आतंकवाद नहीं रोकता, तो भारत को अपने संसाधनों का उपयोग करने से पीछे क्यों हटे।
क्या है तुलबुल परियोजना?
तुलबुल परियोजना जम्मू-कश्मीर में झेलम नदी पर स्थित है। यह बांध वुलर झील के पास बनाया जाना था। परियोजना का उद्देश्य झेलम नदी के जल प्रवाह को नियंत्रित करना, सर्दियों में जल परिवहन को सुचारू बनाना, सिंचाई सुविधाओं में सुधार करना और बिजली उत्पादन को बढ़ावा देना था। इस परियोजना से कश्मीर में लगभग 100 किलोमीटर लंबा जलमार्ग बनने की उम्मीद थी।
1984 में परियोजना की शुरुआत हुई थी, लेकिन 1987 में पाकिस्तान ने इसका विरोध किया। पाकिस्तान का तर्क था कि यह परियोजना सिंधु जल समझौते का उल्लंघन करती है। सिंधु जल संधि जो भारत और पाकिस्तान के बीच 1960 में हुई थी। इस संधि के तहत झेलम, चेनाब और सिंधु नदी का जल प्रवाह पाकिस्तान के लिए सुनिश्चित किया गया था। पाकिस्तान को डर है कि अगर भारत इस बांध का निर्माण करता है, तो वह झेलम के पानी के प्रवाह को नियंत्रित कर सकता है। इससे पाकिस्तान में सूखे की स्थिति पैदा हो सकती है। इस विवाद के कारण भारत ने 1987 में तुलबुल प्रोजेक्ट का काम रोक दिया था।
भारत के लिए क्यों महत्वपूर्ण?
तो वहीं भारत के लिए तुलबुल परियोजना कई मायनों में फायदेमंद है। भारत का मानना है कि तुलबुल प्रोजेक्ट सिंधु जल संधि का उल्लंघन नहीं करता है, क्योंकि इसका मुख्य उद्देश्य सिर्फ पानी के प्रवाह को नियंत्रित करना है, न कि पानी को रोकना या मोड़ना। भारत का कहना है कि प्रोजेक्ट से झेलम में जलस्तर स्थिर रहेगा और कश्मीर घाटी में पानी की किल्लत नहीं होगी। इस परियोजना से जम्मू-कश्मीर में सिंचाई व्यवस्था में सुधार होगा, जल परिवहन आसान होगा और बाढ़ नियंत्रण में भी मदद मिलेगी। साथ ही, बिजली उत्पादन में भी वृद्धि होगी। इसके अलावा, पाकिस्तान पर राजनीतिक दबाव बनाने का एक और मौका मिलेगा।
तुलबुल परियोजना को लेकर भारत और पाकिस्तान में विवाद का सिलसिला जारी है। जहां भारत इसे अपने संसाधनों का सही उपयोग मानता है, वहीं पाकिस्तान इसे अपनी जल सुरक्षा के लिए खतरा मानता है। देखना होगा कि आने वाले दिनों में इस परियोजना पर क्या नया मोड़ आता है।
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