Edited By Neetu Bala, Updated: 02 Oct, 2024 02:37 PM
जम्मू के पहाड़ी इलाकों में अखरोट की एक नई प्रजाति ‘पर्बत’बागवानी के किसानों के लिए एक वरदान साबित होने वाली है
जम्मू : जम्मू के पहाड़ी इलाकों में अखरोट की एक नई प्रजाति ‘पर्बत’बागवानी के किसानों के लिए एक वरदान साबित होने वाली है क्योंकि मिनिस्ट्री ऑफ एग्रीकल्चर एंड फार्मर्स वैल्फेयर गवर्नमैंट ऑफ इंडिया की सैंट्रल सब-कमेटी ने नई वैराइटी को जारी कर दिया है।
अखरोट की नई किस्म को डा. प्रशांत बख्शी प्रोफैसर एंड हैड डिवीजन ऑफ फ्रूट साइंस शेर-ए-कश्मीर यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर साइंसिज एंड टैक्नोलॉजी ऑफ जम्मू (स्कॉस्ट-जम्मू) के नेतृत्व में विकसित किया गया है जो नई वैराइटी अखरोट जीनोटाइप के प्रमुख प्रजनक हैं। बागवानी फसलों के लिए फसल मानकों, अधिसूचना और किस्मों के विमोचन पर केंद्रीय उप-समिति की 31वीं बैठक में देश भर में और राज्य स्तर पर अधिसूचना के लिए नई बागवानी फसल किस्मों के विमोचन पर चर्चा की गई।
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यह बैठक नई दिल्ली में आयोजित की गई, जिसमें देश भर में राज्य स्तर पर नई बागवानी फसल किस्मों को जारी करने के लिए अनुमोदन किया गया। बैठक के दौरान समिति ने भारत भर में कृषि संस्थानों द्वारा विकसित कई बागवानी फसल कई नई किस्मों की समीक्षा की गई। जिसके उपरांत शेर-ए-कश्मीर कृषि विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय जम्मू (स्कॉस्ट-जम्मू) द्वारा विकसित अखरोट किस्म ‘पर्बत’ को जारी किया गया।
इस स्कॉस्ट-जम्मू की इस उपलब्धि के बाद पुंछ और भद्रवाह से दो और अखरोट और पेकानट किस्मों पर स्कॉस्ट-जम्मू काम कर रहा है जिसे जल्द राज्य किस्म विमोचन समिति (एस.वी.आर.सी.) की आगामी बैठक में उन्हें जारी करने की सिफारिश किए जाने की उम्मीद है।
क्या खासियत है नई वैराइटी की
नई वैराइटी का सफल शोध किया गया। किश्तवाड़ शहर से 65 किलोमीटर दूर गौपद्दर में इसे उगाया गया। गौपद्दर समुद्र तल से 1968 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। इस क्षेत्र में अक्तूबर से मार्च तक भारी बर्फबारी होती है जिससे ‘पर्बत’ किस्म अपनी देर से पत्तियों और देर से पकने वाली किस्मों के कारण भविष्य की जलवायु परिवर्तन स्थितियों के लिए विशेष रूप से अनुकूल है। अखरोट के छिलके के फटने से पहले छिलके के भीतर ही पकने की इसकी अनूठी विशेषता इसे बरसात के मौसम में गुणवत्ता में गिरावट के प्रति प्रतिरोधी बनाती है। जम्मू और कश्मीर में अन्य जीनोटाइप की तुलना में बेहतर उपज के साथ ‘पर्बत’अखरोट क्षेत्र में उत्पादन को बढ़ाने और जलवायु परिवर्तनशीलता की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम होगा। समिति की सिफारिश भारत की अनूठी कृषि-जलवायु परिस्थितियों को संबोधित करने वाली बेहतर बागवानी फसल किस्मों को विकसित करने में स्कॉस्ट-जम्मू के अनुसंधान और नवाचार प्रयासों की सफलता पर प्रकाश डालती है।
नई वैराइटी के गुण और लाभ
‘पर्बत’ अखरोट किस्म की विशेषताओं में इसका वजन 19.18 ग्राम के आसपास होता है। अखरोट के आयाम लंबाई 44.32 मि.मी., चौड़ाई 42.17 मि.मी., मोटाई 41.25 मि.मी. वजन 10.22 ग्राम, कर्नेल प्रतिशत 53.28 प्रतिशत, उपज प्रति पेड़ 90 किलोग्राम इसकी विशेष गुणवत्ता है जिसमें प्रोटीन 22 प्रतिशत और तेल सामग्री 61.50 प्रतिशत के करीब होता है।
जल्द किसानों को वितरित किए जाएंगे नई वैराइटी के पौधे
स्कॉस्ट-जम्मू के वैज्ञानिकों की मेहनत रंग लाई है। अब सब-कमेटी से वैराइटी जारी और अनुमोदन के बाद बागवानी के किसानों को जल्द पौधे दिए जाएंगे। डा. बख्शी के अनुसार इससे किसानों की आमदनी में काफी इजाफा होगा और विदेशों में इसकी सप्लाई की जाएगी। नई वैराइटी की खास बात यह है कि दो साल के बाद पौधा फल देने लगेगा। पहले साल पैदावार कम रहेगी मगर दूसरे साल पैदावार दोगुनी होगी। प्रदेश से अखरोट को बाहरी राज्यों समेत विदेशों में भेजा जाता है। कश्मीर घाटी में अखरोट 84 हजार हैक्टेयर भूमि में होता है। यहां पर इसकी पैदावार 2 लाख 79 हजार एम.टी. के करीब होती है। इसी तरह जम्मू संभाग में 40 हजार हैक्टेयर में 85 हजार एम.टी. होती है।
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