Jammu-Kashmir अपने इतिहास में पहली बार मना रहा संविधान दिवस, जानें वजह

Edited By Kamini, Updated: 26 Nov, 2024 03:15 PM

jammu kashmir is celebrating constitution day

जम्मू-कश्मीर सरकार ने 26 नवंबर, 1950 को भारतीय संविधान को अपनाने की याद में इस वर्ष पहली बार "संविधान दिवस" मनाने का निर्णय लिया है।

जम्मू-कश्मीर डेस्क : जम्मू-कश्मीर सरकार ने 26 नवंबर, 1950 को भारतीय संविधान को अपनाने की याद में इस वर्ष पहली बार "संविधान दिवस" मनाने का निर्णय लिया है। सरकार ने संविधान दिवस के भव्य समारोह के लिए निर्देश जारी किए हैं। संविधान को अपनाने के 75 वर्ष पूरे होने के महत्व को देखते हुए, इस दिन को भारत के संविधान में निहित मूल मूल्यों को दोहराने और नागरिकों को अभियान में अपनी सही भूमिका निभाने के लिए प्रेरित करने के लिए बड़े उत्साह और जोश के साथ मनाया जा रहा है। 

यह आयोजन जम्मू-कश्मीर के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, क्योंकि राज्य ने 1947 में भारत के साथ विलय के बाद अपने संविधान और झंडे को बनाए रखा था, जो अब 2019 में अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद समाप्त हो गए थे। इस समारोह का नेतृत्व श्रीनगर में जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा करेंगे। कार्यक्रम में राज्य सरकार के मंत्री, संविधान की प्रस्तावना पढ़ेंगे, जिसमें मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला, जो इस समय सऊदी अरब में उमराह के लिए गए हुए हैं, भी शामिल होते। हालांकि, उमर अब्दुल्ला इस अवसर पर मौजूद नहीं होंगे। 

बता दें कि, पिछले महीने जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में बहुमत मिलने के बाद उमर अब्दुल्ला ने 16 अक्टूबर को मुख्यमंत्री पद और गोपनीयता की शपथ ली थी. सीएम उमर ने समारोह में भारतीय संविधान के प्रति निष्ठा जाहिर करते हुए शपथ ली और संविधान की शपथ लेने वाले जम्मू-कश्मीर के पहले CM बने थे। शपथ ग्रहण समारोह में उनके साथ-साथ उनकी सरकार के अन्य मंत्रियों ने भी संविधान की अपनी शपथ ली थी।

जम्मू-कश्मीर के लिए यह दिन ऐतिहासिक है, क्योंकि यह राज्य के संविधान और विशेष दर्जे की समाप्ति के बाद पहली बार संविधान दिवस मनाया जा रहा है। 2019 में केंद्र सरकार ने अनुच्छेद 370 को समाप्त कर जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जे से वंचित कर दिया था और इसे केंद्र शासित प्रदेश में बदल दिया था। इससे पहले, जम्मू-कश्मीर भारतीय संविधान से अलग अपने राज्य संविधान के तहत चलता था। 1947 में जम्मू-कश्मीर के भारत के साथ विलय के बाद, राज्य ने अपना अलग संविधान और ध्वज बनाए रखा था। राज्य के शासक को सदर-ए-रियासत (राष्ट्रपति) और सरकार के प्रमुख को प्रधानमंत्री के पद पर नियुक्त किया गया था। 

इस वर्ष का संविधान दिवस राज्य के नागरिकों को भारतीय संविधान के प्रति जागरूक करने और उनके अधिकारों और कर्तव्यों के बारे में समझाने के उद्देश्य से मनाया जा रहा है। साथ ही यह समारोह जम्मू-कश्मीर के नवनिर्माण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। 2019 में अनुच्छेद 370 के निरस्तीकरण के बाद, जम्मू-कश्मीर ने अपने विशेष राज्य दर्जे को खो दिया था। साथ ही, इसे लद्दाख के साथ 2 केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया गया था। ऐसे में संविधान दिवस का आयोजन इस बदलाव को स्वीकार करने और भारतीय संविधान के अंतर्गत जम्मू-कश्मीर के नए स्थान को पहचान देने का एक कदम है। 

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