जम्मू-कश्मीर: आरक्षण पॉलिसी पर छात्रों से मिले CM Omar, कही ये बात

Edited By Neetu Bala, Updated: 24 Dec, 2024 11:49 AM

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मुख्यमंत्री ने उप-समिति को अपना काम पूरा करने के लिए छह महीने का समय मांगा है।”

श्रीनगर : जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने केंद्र शासित प्रदेश की आरक्षण नीति का विरोध कर रहे छात्रों के प्रतिनिधिमंडल को सोमवार को आश्वासन दिया कि आरक्षण नीति की समीक्षा के लिए गठित मंत्रिमंडलीय उप-समिति 6 महीने में अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। छात्र नेताओं ने यह जानकारी दी। विद्यार्थी अनुच्छेद 370 के कुछ प्रावधान निरस्त किए जाने के बाद जम्मू-कश्मीर में लागू की गई आरक्षण नीति का विरोध कर रहे हैं।

नैशनल कॉन्फ्रैंस (नैकां) के नेता और श्रीनगर से लोकसभा सदस्य आगा रूहुल्ला मेहदी ने जम्मू-कश्मीर में आरक्षण को तर्कसंगत बनाने की मांग के समर्थन में मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के आवास के बाहर शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन किया। अब्दुल्ला से उनके आवास पर मुलाकात के बाद एक छात्र नेता ने संवाददाताओं को बताया, “ हमने मुख्यमंत्री से मुलाकात की और आरक्षण के मुद्दे पर करीब 30 मिनट तक चर्चा की। चर्चा का सार यह था कि मुख्यमंत्री ने उप-समिति को अपना काम पूरा करने के लिए छह महीने का समय मांगा है।”

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अब्दुल्ला ने सोशल मीडिया पर कहा कि विद्यार्थियों के साथ संवाद का यह मार्ग बिना किसी मध्यस्थ के खुला रहेगा। मुख्यमंत्री ने ‘एक्स' पर जारी पोस्ट में कहा, ‘आज (सोमवार) मैंने ‘ओपन मैरिट स्टूडैंट्स एसोसिएशन' के प्रतिनिधियों से मुलाकात की। लोकतंत्र की खूबसूरती आपसी सहयोग की भावना से सुनने और संवाद करने का अधिकार है। मैंने उनसे कुछ अनुरोध किए हैं और उन्हें कई आश्वासन दिए हैं। संवाद का यह मार्ग बिना किसी मध्यस्थ के खुला रहेगा।” नेकां के मुखर नेता मेहदी ने मौजूदा आरक्षण नीति के खिलाफ रविवार को शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन में शामिल होने घोषणा की थी।

केंद्र सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर में पहाड़ी भाषी लोगों को आरक्षण दिए जाने के साथ ही सामान्य श्रेणी की सीट घटकर मात्र 30 प्रतिशत रह गई है जबकि 70 प्रतिशत सीट विभिन्न समुदायों के लिए आरक्षित हैं। चिकित्सा और शल्य चिकित्सा का प्रशिक्षण ले रहे विद्यार्थियों सहित विभिन्न पाठ्यक्रमों के छात्र इस नीति का विरोध कर रहे हैं। यह पूछे जाने पर कि क्या वह विद्यार्थियों और मुख्यमंत्री के बीच हुई बैठक के नतीजे से संतुष्ट हैं, लोकसभा सदस्य ने कहा कि उनकी संतुष्टि कोई मायने नहीं रखती। मेहदी ने कहा, ‘अगर छात्र संतुष्ट हैं, तो मैं भी संतुष्ट हूं। अच्छी बात यह है कि उप-समिति के कार्य की समयसीमा तय की गई है। पहले यह नहीं होती थी।”

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