Edited By Sunita sarangal, Updated: 02 Nov, 2024 12:00 PM
यह मिशन मंगल और चंद्रमा जैसी स्थितियों का अनुकरण करने की दिशा में एक नया कदम है।
जम्मू डेस्क: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने शुक्रवार को भारत के पहले एनालॉग अंतरिक्ष मिशन (Analog space mission) के लॉन्च (Launch) की घोषणा की, जो लेह (Leh), लद्दाख (Ladakh) में शुरू हुआ। इस मिशन का नेतृत्व इसरो (ISRO) के मानव अंतरिक्ष उड़ान केंद्र (Human Space Flight Center) ने किया है, जिसे ए.ए.के.ए. स्पेस स्टूडियो, लद्दाख विश्वविद्यालय, आई.आई.टी. बॉम्बे के साथ सांझेदारी में विकसित किया गया है और लद्दाख स्वायत्त पहाड़ी विकास परिषद द्वारा समर्थित है। इस मिशन का उद्देश्य एक अंतरग्रहीय आवास में जीवन का अनुकरण करना और पृथ्वी (Earth) से परे एक बेस स्टेशन (Base Station) स्थापित करने की चुनौतियों का पता लगाना है।
सोशल मीडिया (Social Media) ‘एक्स’ पर खबर सांझा करते हुए इसरो ने कहा कि भारत का पहला एनालॉग अंतरिक्ष मिशन लेह में शुरू हुआ। मानव अंतरिक्ष उड़ान केंद्र, इसरो, ए.ए.के.ए. स्पेस स्टूडियो, लद्दाख विश्वविद्यालय, आई.आई.टी. बॉम्बे और लद्दाख स्वायत्त पहाड़ी विकास परिषद द्वारा समर्थित एक संयुक्त प्रयास, यह मिशन पृथ्वी से परे एक बेस स्टेशन की चुनौतियों से निपटने के लिए एक अंतरग्रहीय आवास में जीवन का अनुकरण करेगा।
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यह मिशन मंगल (Mars) और चंद्रमा (Moon) जैसी स्थितियों का अनुकरण करने की दिशा में एक नया कदम है। लद्दाख का अत्यधिक अलगाव, कठोर जलवायु और अद्वितीय भौगोलिक विशेषताएं इसे इन खगोलीय पिंडों (Celestial Bodies) पर अंतरिक्ष यात्रियों (Astronauts) द्वारा सामना की जाने वाली चुनौतियों का अनुकरण करने के लिए एक आदर्श स्थान बनाती हैं। यह मिशन भारत के गगनयान (Gaganyaan) कार्यक्रम और भविष्य के अंतरिक्ष अन्वेषण का समर्थन करने के लिए मूल्यवान डाटा प्रदान करेगा।
लद्दाख की शुष्क जलवायु, उच्च ऊंचाई और बंजर भूभाग मंगल और चंद्रमा की स्थितियों से काफी मिलते-जुलते हैं, जो इसे एनालॉग शोध के लिए आदर्श बनाते हैं। भारत के प्रमुख वैज्ञानिकों में से एक डॉ. आलोक कुमार ने शुरू में अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए लद्दाख का उपयोग करने का विचार प्रस्तावित किया था। National Aeronautics and Space Administration (नासा) के अनुसार एनालॉग मिशन पृथ्वी के वातावरण में क्षेत्र परीक्षण हैं जो चरम अंतरिक्ष स्थितियों की नकल करते हैं। एनालॉग मिशन वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को यह समझने की अनुमति देते हैं कि मनुष्य, रोबोट और तकनीक अंतरिक्ष जैसी स्थितियों में कैसे प्रतिक्रिया दे सकते हैं।
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नासा (NASA) ने बताया कि नासा के इंजीनियर और वैज्ञानिक अंतरिक्ष में उपयोग किए जाने से पहले कठोर वातावरण में परीक्षण के लिए आवश्यकताओं को इकट्ठा करने के लिए सरकारी एजैंसियों, शिक्षाविदों और उद्योग के साथ काम करते हैं। परीक्षणों में नई तकनीकें, रोबोटिक उपकरण, वाहन, आवास, संचार, बिजली उत्पादन, गतिशीलता, बुनियादी ढांचा और भंडारण शामिल हैं। ये मिशन आइसोलेशन, टीम की गतिशीलता और कैद जैसे व्यावहारिक प्रभावों का भी निरीक्षण करते हैं, जो क्षुद्रग्रहों या मंगल जैसे गहरे अंतरिक्ष मिशनों के लिए नासा की तैयारी में सहायता करते हैं। इन मिशनों के लिए परीक्षण स्थलों में महासागर, रेगिस्तान और ज्वालामुखीय लैंडस्केप जैसे विविध स्थान शामिल हैं जो अंतरिक्ष जांच की चुनौतियों को दोहराते हैं।
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