Mahashivaratri 26 फरवरी को,  Mahant Rohit Shastri ने बताया पूजा का मुहूर्त व व्रत की विधि

Edited By Neetu Bala, Updated: 24 Feb, 2025 12:55 PM

auspicious time of worship and the method of fasting of mahashivaratri

महाशिवरात्रि की पूजा निशिता काल में की जाती है, इसलिए इस वर्ष महाशिवरात्रि का पर्व 26 फरवरी को ही मनाना उचित होगा।

जम्मू : फाल्गुन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन मनाया जाने वाला महाशिवरात्रि का पर्व शिव भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है। इस संबंध में श्री कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत रोहित शास्त्री ने बताया कि इस वर्ष महाशिवरात्रि का पर्व 26 फरवरी को मनाया जाएगा। ज्योतिष शास्त्र के दृष्टिकोण से शिवरात्रि पर्व चतुर्दशी तिथि के स्वामी भगवान भोलेनाथ अर्थात स्वयं शिव ही हैं, इसलिए प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासशिवरात्रि के रूप में मनाई जाती है जिनमें सबसे महत्वपूर्ण फाल्गुन कृष्ण पक्ष की महाशिवरात्रि होती है।

रोहित शास्त्री ने कहा कि फाल्गुन माह की शिवरात्रि के दिन ही भगवान शिव एवं देवी पार्वती का विवाह हुआ था और इसी दिन भगवान शिव की लिंग रूप में उत्पत्ति भी हुई थी। उन्होंने कहा कि फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 26 फरवरी सुबह 11 बजकर 09 मिनट से आरंभ होकर 27 फरवरी सुबह 8 बजकर 55 मिनट पर समाप्त होगी। महाशिवरात्रि की पूजा निशिता काल में की जाती है, इसलिए इस वर्ष महाशिवरात्रि का पर्व 26 फरवरी को ही मनाना उचित होगा।

पूजा मुहूर्त

शिवरात्रि व्रत पारण समय : 27 फरवरी को सुबह 6 बजकर 35 मिनट से दोपहर 3 बजकर 03 मिनट। 26 फरवरी बुधवार को रात्रि के समय भगवान शिव का पूजन एक से चार बार किया जाएगा।

-रात्रि पहले पहर में पूजा का समय सायं 6 बजकर 22 मिनट से रात्रि 9 बजकर 27 मिनट तक।

-रात के दूसरे पहर में पूजा का समय 9 बजकर 29 मिनट से देर रात 12 बजकर 30 मिनट तक।

-तीसरे पहर में पूजा का समय रात 12 बजकर 38 से लेकर प्रात: 3 बजकर 44 मिनट तक।

-चौथे पहर में पूजा का समय प्रात: 3 बजकर 44 मिनट से लेकर 6 बजकर 49 मिनट तक।

व्रत की विधि

महंत रोहित शास्त्री ने बताया कि विधिपूर्वक व्रत रखने पर गंगाजल, दूध, दही, घी, शहद, फूल, शुद्ध वस्त्र, बिल्लव पत्र, धूप, दीप, नैवेद्य, चंदन का लेप, ऋतुफल, आक धतूरे के पुष्प, चावल आदि डालकर शिवलिंग को अर्पित किए जाते हैं। उन्होंने कहा कि यदि शिव मंदिर में पूजन व जाप करना संभव न हो तो घर के किसी शान्त स्थान पर जाकर पूजन-जाप किया जा सकता है। इस बात का खास ध्यान रखना चाहिए कि भोलेनाथ पर चढ़ाया गया प्रसाद न खाएं, यदि शिव की मूर्ति के पास शालीग्राम विराजमान हों तो प्रसाद खाने में कोई दोष नहीं है।

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