Edited By Neetu Bala, Updated: 14 Jun, 2024 01:07 PM
सुरक्षाबल अब हाई अलर्ट पर हैं और अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा व्यवस्था की फिर से समीक्षा की जा रही है।
हीरानगर (लोकेश) : शिवखोड़ी और कठुआ में आतंकी हमलों के बाद आतंकी फिर से जम्मू में बड़े आतंकी हमले का षड्यंत्र रच रहे हैं। हीरानगर में मारे गए आतंकियों से बरामद एम कार्बाइन राइफल, दूरबीन और नाईट विजन डिवाइस से यह साबित होता है कि आतंकी बड़े हमले की फिराक में थे और इनमें एक आतंकी स्नाईपर था।
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सुरक्षाबल अब हाई अलर्ट पर हैं और अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा व्यवस्था की फिर से समीक्षा की जा रही है। कठुआ, रियासी और डोडा में हुए आतंकी हमलों के बाद सांबा में भी जम्मू-कश्मीर पुलिस के एस.ओ.जी. दल, सीमा सुरक्षा बल और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के जवानों ने घगवाल के अंतर्गत पड़ते जंगली इलाकों में तलाशी अभियान चलाया।
इसके साथ ही सांबा में हाई अलर्ट जारी किया गया है। इलाके में नदी-नालों सहित संदिग्ध स्थानों को खंगाला जा रहा है और नजदीकी लोगों से भी पूछताछ की जा रही है।
आशंका जताई जा रही है कि हीरानगर सैक्टर के सैडा सोहल इलाके में हुए आतंकी हमले में और भी आतंकी हो सकते हैं, जिसके चलते अलग-अलग स्थानों में तलाशी अभियान चलाया जा रहा है।
हीरानगर में हुए हमले के बाद सुरक्षा को देखते हुए एस.एस.पी. सांबा विनय शर्मा के निर्देश पर डी.एस.पी. हैडक्वॉर्टर सांबा भीष्म दुबे सहित थाना प्रभारी घगवाल सिकंदर सिंह चौहान तथा कई अन्य पुलिस अधिकारियों के नेतृत्व में पुलिस व एस.ओ.जी. के दलों ने बेई नाले के नजदीक ओढ़, किरमिची, रत्तनपुर सुराडा और गोरान में तलाशी अभियान चलाया गया।
सी.आर.पी.एफ. के ग्रुप सैंटर और आई.टी.बी.पी. का शिविर वारदात स्थल के बिल्कुल नजदीक
जिस जगह आतंकियों ने वारदात को अंजाम दिया वहां से सी.आर.पी.एफ. का ग्रुप सैंटर और आई.टी.बी.पी. का शिविर बिल्कुल नजदीक था। बेई नाले के किनारे सुरक्षाबलों के ये संस्थान आतंकी घुसपैठ को हतोत्साहित करने और नाकाम करने के लिए ही स्थापित किए गए थे। ऐसा अंदेशा है कि आतंकी किसी बड़ी वारदात को अंजाम देने की फिराक में थे और लगातार इस इलाके की रेकी कर रहे थे।
आतंकियों का पुराना रूट है बेई नाला
भारत-पाकिस्तान अंतर्राष्ट्रीय सीमा से घुसपैठ के पुराने रूट में कठुआ और सांबा की सरहद पर बहता बेई नाला भी शामिल रहा है। जिस जगह आतंकियों ने वारदात को अंजाम दिया है उसकी हाईवे से दूरी लगभग सड़क मार्ग से 8 किलोमीटर है, लेकिन जंगल के रास्ते यह इलाका हाईवे से 3 से 4 किलोमीटर की दूरी पर ही स्थित है।
वहीं बेई नाले से सटे सैडा सोहल में आतंकियों की दस्तक ने साफ कर दिया है कि आतंकियों ने घुसपैठ के लिए अंतर्राष्ट्रीय सीमा से फिर कोई नया पैंतरा अपना लिया है।
लगभग डेढ़ माह पहले ही आतंकियों के एक दल ने बसंतगढ़ में वी.डी.जी. सदस्य की हत्या कर दी थी। कई दिनों तक ढग्गर से लेकर बसंतगढ़ के इलाके में सर्च के बाद भी उनका कोई सुराग हाथ नहीं लगा।वहीं ऐसा माना जा रहा है कि घुसपैठ कर आए आतंकियों का यह नया दल था।
सैडा सोहल में मारा गया दूसरा आतंकी स्नाइपर था
हीरानगर के सैडा सोहल में दहशत फैलाने वाले आतंकी अत्याधुनिक हथियारों से लैस थे। ढेर किए गए आतंकियों से अमरीकी एम4 कार्बाइन बरामद की गई है। यही नहीं इनके पास बरामद राइफल पर टैलीस्कोपिक नाइट विजन डिवाइस भी लगा हुआ था। आतंकी ने रात के अंधेरे में डी.आई.जी. और एस.एस.पी. के उसकी ओर बढ़ रहे काफिले को भी निशाना बनाया। निशाना इतना स्टीक था कि उसने दोनों अधिकारियों की गाड़ी में चालक को ही निशाना बनाकर गोलियां चलाईं। बुलेट प्रूफ इन वाहनों में गोलियां शीशे को भेद नहीं पाईं, लेकिन सी.आर.पी.एफ. की जिप्सी में सवार एक जवान गोली की चपेट में आ गया। खुफिया सूत्रों की मानें तो मारा गया आतंकी स्नाइपर था और अपने हथियार से उसने दूर से ही अंधेरे में निशाना साधा।