न्यू एजुकेशन पॉलिसी ने चिंता में डाले छात्रों के माता-पिता, जानें क्या है मामला

Edited By Sunita sarangal, Updated: 01 Apr, 2024 11:22 AM

new education policy of jammu kashmir tensed parents of ukg students

एक तो उनके बच्चों का एक वर्ष खराब हो रहा है, दूसरा उनके बच्चे को उसी कक्षा में दो वर्ष बिताने पड़ेंगे जबकि उसके अन्य दोस्त अगली कक्षा में चले जाएंगे

कठुआ: न्यू एजुकेशन पॉलिसी के चलते जम्मू-कश्मीर में इस बार पहली कक्षा में जा रहे कुछ छात्रों की आयु 31 मार्च को 6 वर्ष की आयु सीमा से कुछ कम रह जाने से उन्हें प्रथम कक्षा में प्रवेश नहीं मिल पा रहा है और स्कूलों ने आयु सीमा में छूट का सरकारी आर्डर न मिलने के नाम पर ऐसे माता-पिता को अपने बच्चों को फिर यू.के.जी. कक्षा में प्रवेश करवाने के लिए बोल दिया है जिसकी वजह से इन बच्चों के माता-पिता खासे तनाव में हैं।

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उल्लेखनीय है कि इन बच्चों को तो शायद पता नहीं होगा कि सरकारी आदेश के अभाव में उन्हें यू.के.जी. कक्षा उत्तीर्ण करने के बावजूद फिर यू.के.जी. में ही रहना होगा लेकिन यह किसी भी प्रकार से न्याय संगत नहीं है। उल्लेखनीय है कि गत वर्ष जम्मू-कश्मीर सरकार द्वारा ऐसे नन्हे-मुन्ने छात्रों को आयु सीमा में छूट दी गई थी। इस सरकारी आदेश में स्पष्ट लिखा हुआ है कि जो बच्चे 2 वर्ष या 3 वर्ष की प्री-प्राइमरी क्लासें कर चुके हैं उन्हें आयु सीमा में छूट मिलेगी लेकिन आगे इस आदेश में लिख दिया गया कि यह छूट केवल 2023-24 सैशन के लिए दी जा रही है जबकि जम्मू-कश्मीर में न्यू एजुकेशन पॉलिसी लागू करते समय जो बच्चे प्री-प्राइमरी कक्षाओं में एडमिशन ले चुके थे उन सभी बच्चों को इस आयु सीमा में छूट का लाभ मिलना चाहिए था।

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गत वर्ष यू.के.जी. उत्तीर्ण कर प्रथम कक्षा में जाने वाले छात्रों को आयु सीमा में छूट देने के वक़्त नन्हे-मुन्ने बच्चों का जो बैच एल.के.जी. उत्तीर्ण करके यू.के.जी. में पहुंचा था वही बैच अब प्रथम कक्षा में जाने वाला है और छात्रों का जो उस वक्त बैच नर्सरी कक्षा उत्तीर्ण करके एल.के.जी. में पहुंचा था, वह आज यू.के.जी. में पहुंचा है। कायदे से यह तीनों बैच न्यू एजुकेशन पॉलिसी लागू होने के समय प्री-प्राइमरी कक्षाओं में एडमिशन ले चुके थे इसलिए इन तीनों बैच के उन बच्चों को, जिनकी आयु 31 मार्च को 6 वर्ष से कुछ कम रह रही है, को प्रथम कक्षा की एडमिशन के वक्त आयु सीमा में लाभ मिलना चाहिए था लेकिन इनमें से केवल एक बैच को ही आयु सीमा में छूट का लाभ मिला है जबकि दूसरा बैच अभी तक आयु सीमा में छूट के सरकारी आदेश का इंतजार कर रहा है और तीसरा व अंतिम बैच जो न्यू एजुकेशन पॉलिसी लागू होने के वक्त प्री-प्राइमरी कक्षाओं में एडमिशन ले चुका था इसी प्रकार के मानसिक तनाव से अगले वर्ष गुजरेगा।

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सरकारी आदेश के अभाव में इस बार के यू.के.जी. उत्तीर्ण कर चुके सैंकड़ों छात्रों, जिनकी उम्र 31 मार्च को 6 साल से कुछ हफ्ते कम हो रही है, के लिए परेशानी बढ़ गई है। ऐसे में इन छात्रों को स्कूलों ने फिर से यू.के.जी. में एडमिशन करवाने का फरमान सुना दिया है जिसके चलते बच्चों के माता-पिता खासे तनाव में हैं। एक तो उनके बच्चों का एक वर्ष खराब हो रहा है, दूसरा उनके बच्चे को उसी कक्षा में दो वर्ष बिताने पड़ेंगे जबकि उसके अन्य दोस्त अगली कक्षा में चले जाएंगे तथा स्कूलों की महंगी फीस व अन्य शुल्क उन्हें एक बार फिर से उसी कक्षा के लिए देने पड़ेंगे जो किसी भी प्रकार से उपयुक्त नहीं लगता है।

यहां यह बात भी उल्लेखनीय है कि नन्हे-मुन्ने छात्रों के इन 3 बैच के उपरांत प्री-प्राइमरी कक्षाओं में न्यू एजुकेशन पॉलिसी की आयु सीमा को ध्यान में रख कर ही बच्चों की एडमिशन की गई है जिससे उन बच्चों को आयु सीमा में छूट की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। ऐसे में इन माता-पिता की नजर जम्मू-कश्मीर के उप राज्यपाल मनोज सिन्हा पर है जिनके इस क्रम का संज्ञान लेने से जारी आदेश के बाद इन नन्हे-मुन्ने छात्रों का एक साल बच सकता है व उनकी एडमिशन प्रथम कक्षा में हो पाएगी जिससे माता-पिता का तनाव भी खत्म हो जाएगा। इस संबंध में जल्द ही आयु सीमा में छूट का एक आर्डर निकालने से स्कूलों को भी इस बारे में स्पष्टता मिल पाएगी।

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