अनंतनाग-राजौरी लोकसभा सीट: BJP के आत्मसमपर्ण को लेकर लोगों ने Social Media पर लगाई लताड़

Edited By Neetu Bala, Updated: 20 Apr, 2024 06:26 PM

anantnag rajouri  people slammed on social media for bjp s surrender

भाजपा द्वारा इस सीट पर आत्मसमपर्ण कर अपने कौर वोटर्स को मझधार में छोड़ दिया गया।

पुंछ (धनुज शर्मा) : 2019 के बाद जम्मू-कश्मीर में पहली बार लोकसभा चुनाव होने जा रहे हैं। ऐसे में हाई प्रोफाइल संसदीय सीट अनंतनाग-राजौरी-पुंछ पर भारतीय जनता पार्टी द्वारा कोई उम्मीदवार न खड़ा करने पर पहाड़ी भाषी वोटरों को बड़ा झटका लगा है। गौरतलब है कि इस सीट पर पहाड़ी भाषी वोटरों द्वारा चुनावों की घोषणा के बाद से ही अपने पैसे खर्च कर भाजपा के लिए बड़े स्तर पर प्रचार शुरू कर दिया था, जिसमें लोगों का कहना था कि उम्मीदवार चाहे कोई भी हो वोट केवल कमल के चिन्ह को दिया जाएगा। हर दिन वोटर केवल भाजपा उम्मीदवार के नाम की घोषणा का इंतजार करने के साथ ही प्रचार में तेजी लाते हुए भाजपा के उम्मीदवार को जिताने का दम भर रहे थे। जैसे-जैसे नामांकन भरने की तिथि नजदीक आती गई वैसे-वैसे वोटरों में उत्साह भी बढ़ता गया। 

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शुक्रवार 19 अप्रैल को नामांकन की अंतिम तिथि को जब भाजपा के किसी भी उम्मीदवार द्वारा नामांकन नहीं किया गया तो भाजपा के वोटरों को एक बड़ा झटका लगा। इस बात को लेकर स्थानीय सोशल मीडिया समूहों द्वारा वोटरों ने भाजपा पर जमकर भड़ास भी निकाली है | गौरतलब है कि क्षेत्र के पहाड़ी भाषी लोग आजादी के लगभग 7 दशक तक पहाड़ी भाषी लोगों के लिए आरक्षण की मांग को लेकर कई तरह के आंदोलन तक कर चुके थे, ऐसे में मोदी सरकार द्वारा पहाड़ी भाषी लोगों की दशकों पुरानी मांग को पूरा करते हुए पहाड़ी भाषियों को आरक्षण दिया गया। जिसके बाद पहाड़ी भाषी सभी वोटर पूरी तरह भाजपा का समर्थन कर भाजपा को ये सीट जिताने तथा सरकार का धन्यवाद अदा कर आरक्षण की पुरानी मांग पूरी होने बदला चुकाने की बात कर रहे थे परंतु भाजपा द्वारा इस सीट पर आत्मसमपर्ण कर अपने कौर वोटर्स को मझधार में छोड़ दिया गया।

भाजपा के आत्मसमपर्ण को लेकर सोशल मीडिया पर लोगों ने लगाई लताड़

गौरतलब है कि वर्तमान समय में अनंतनाग-राजौरी-पुंछ लोकसभा सीट सबसे हाई प्रोफाइल सीट मानी जा रही है जिस पर पीडीपी की तरफ से पूर्व मुख्यमंत्री एवं पार्टी अध्यक्ष मेहबूबा मुफ्ती ताल ठोक रही हैं, वहीं नैकां द्वारा बड़े धार्मिक एवं वरिष्ठ नेता मियां अल्ताफ अहमद लारवी को चुनाव में उतारा है, जबकि गुलाम नबी आजाद द्वारा नाम वापस लेने के बाद अन्य नेता द्वारा नामांकन भरा गया।  वहीं अल्ताफ बुखारी की अपनी पार्टी सहित कई अन्य निर्दलीय उम्मीदवार भी मैदान में ताल ठोक रहे हैं, परंतु देश की सबसे बड़ी पार्टी ने इस सीट पर कोई उम्मीदवार नहीं खड़ा करके एक हिसाब से आत्मसमपर्ण किया है। इसके पीछे रणनीति चाहे कोई भी रही हो, लेकिन जानकारों का कहना है कि आगामी विधानसभा चुनावों में भाजपा को इस चीज का बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है, क्योंकि भाजपा का कौर वोटर इस फैसले से भाजपा से काफी नाराज चल रहा है। वहीं कुछ जानकारों का मानना है कि दूसरे फेस में जम्मू रियासी लोकसभा सीट पर मतदान में भी भाजपा को इस फैसले का नुकसान उठाना पड़ सकता है। बैर्हाल नामांकन की समयसीमा खत्म होने के 24 घंटे बाद भी भाजपा आलाकमान द्वारा इस पूरे  प्रकरण पर कोई सफाई जारी नहीं की गई है।


 

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