Edited By Neetu Bala, Updated: 13 Dec, 2024 11:55 AM
यह आंकड़े अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के राष्ट्रीय नशा निर्भरता उपचार केंद्र द्वारा किए गए सर्वेक्षण में सामने आए थे।
जम्मू : जम्मू-कश्मीर में नशे की समस्या लगातार बढ़ रही है। आंकड़ों की बात करें तो केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में 4.47 लाख लोग अफीम और इसके उत्पादों 5.05 प्रतिशत का सेवन कर रहे हैं, जबकि 3.54 लाख लोग शराब का सेवन करते हैं। इसके अलावा जम्मू-कश्मीर में 1.51 लाख लोग नींद की दवाओं, 1.36 लाख लोग भांग और 89,000 लोग सूंघने वाले पदार्थों का इस्तेमाल कर नशा करते हैं।
संसद के शीतकालीन सत्र में यह जानकारी सामाजिक न्याय और आधिकारिता राज्य मंत्री बी.एल. वर्मा ने नैशनल कॉन्फ्रैंस के सांसद आगा सैयद रूहुल्लाह मेहदी के एक प्रश्न के उत्तर में लोकसभा में दी, जिसमें केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में नशीली दवाओं के दुरुपयोग, विशेष रूप से चिट्टे की लत में खतरनाक वृद्धि के बारे में पूछा गया था। यह आंकड़े अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के राष्ट्रीय नशा निर्भरता उपचार केंद्र द्वारा किए गए सर्वेक्षण में सामने आए थे।
नशीली दवाओं की मांग में कमी के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना
वहीं जम्मू-कश्मीर में नशा मुक्ति केंद्रों की संख्या बढ़ाने के लिए उठाए जा रहे कदमों पर एक अन्य प्रश्न का उत्तर देते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग नशीली दवाओं की मांग में कमी के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना को लागू कर रहा है। साथ ही नशा मुक्त भारत अभियान जम्मू-कश्मीर के सभी जिलों में लागू किया जा रहा है।
जागरूकता कार्यक्रमों के माध्यम से 98 लाख लोगों तक की पहुंच
बी.एल. वर्मा ने कहा कि जागरूकता कार्यक्रमों के माध्यम से यह अभियान 8 लाख युवाओं और 9 लाख महिलाओं सहित 98 लाख से अधिक व्यक्तियों तक पहुंच चुका है।
उन्होंने संसद को बताया कि विभाग जम्मू-कश्मीर में कई पुनर्वास और उपचार सुविधाओं का समर्थन करता है, जिसमें एक समेकित पुनर्वास केंद्र, तीन पहुंच और सहायता केंद्र, दो सामुदायिक नेतृत्व वाले हस्तक्षेप केंद्र और पांच जिला नशा मुक्ति केंद्र सहित 20 नशा उपचार केंद्र शामिल हैं। सरकार का उद्देश्य इन योजनाओं के माध्यम से नशे की समस्या को जड़ से खत्म करना है।
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